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हिंदी फ़िल्म गीत कोश खंडों का कंप्यूटरीकरण

परदे के पीछे की कहानी

‘हमराज़’ की कलम से

कहानी शुरू होती है अक्तूबर 1993 से जब मैंने कंप्यूटर [PC-386, a 32-bit personal computer with a 20-MHz 80386 CPU that could run PC-98 series software at more than twice the speed of 16-bit machines] तो ख़रीद लिया लेकिन उस पर काम करना तो छोड़िए, मुझे इसको चालू करना भी नहीं आता था. कंप्यूटर ख़रीदने का मक़सद ये था कि हिंदी फ़िल्मों एवं गीतों संबंधी समस्त जानकारी के संकलन का न केवल शेष सारा कार्य सीधे कंप्यूटर पर ही किया जाएगा बल्कि पूर्व प्रकाशित गीत कोश खंडों में दी गई सारी जानकारी को कंप्यूटर में ही भर दिया जाए.

कंप्यूटर ख़रीदने के तुरंत बाद मैंने लिस्नर्स बुलेटिन (त्रैमासिक/अक्तूबर 1971 से प्रकाशित) अंक 93 - नवंबर 1993 - में गीत कोश खंडों के कंप्यूटरीकरण किए जाने की घोषणा कर दी भले ही मैं डाटाबेस और प्रोग्रामिंग आदि के बारे में तब तक कुछ भी नहीं जानता था. लेकिन लगभग 3 वर्षों में अपनी मेहनत से मैंने हिंदी फ़िल्म गीत कोश, खंड-3 (1951-60) की समस्त जानकारी को न केवल कंप्यूटर में हिंदी में भर दिया बल्कि उसकी सहायता से उसका प्रकाशन भी अप्रैल 1997 में कर दिया. इसके बाद मैंने पूर्व-प्रकाशित सभी गीत कोश खंडों की जानकारी को कंप्यूटर में भरने का इरादा बनाया ताकि किसी भी तरह की वाँछित सूची या जानकारी तुरंत हासिल की जा सके और गीत कोश खंडों को बार-बार पलटना न पड़े. इसी सिलसिले में मेरी पहली मुलाक़ात दिसंबर 1999 में अहमदाबाद के एक संगीत-प्रेमी से हुई जिन्होंने गीत कोश खंडों की जानकारी को कंप्यूटर में भरने का सारा कार्य अपनी देखरेख में कराने का भरोसा दिलाया. इस वृहद योजना पर काम शुरू तो हुआ लेकिन 4-5 वर्ष बीत जाने के बाद भी अंजाम तक नहीं पहुँच पाया. इस दौरान टेक्नोलॉजी भी बदल गई और खंड-3 संबंधी कंप्यूटर में भरी गई समस्त जानकारी भी बेकार चली गई. उसके बाद लगभग एक दशक तक 5-6 प्रयास अलग-अलग शहरों के कंप्यूटर के जानकार लोगों की मदद से किए गए. वक़्त और पैसे की बरबादी के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा. अंतिम प्रयास 2012 से 2014 के बीच किया गया . अफ़्सोस कि लाखों रुपए का भुगतान भी किया लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात. इतना कड़वा अनुभव तो मुझे पिछले 40-45 बरसों में भी नहीं हुआ था. लिहाज़ा, मुझे यह महसूस हुआ कि जब तक मैं स्वयं इस योजना में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेता, यह योजना कभी भी पूरी नहीं होगी.

इसी कड़ी में कुछ अनुभव प्राप्त करने के लिए मैंने गीत कोश, खंड-6 (1981-85) का संकलन सीधे कंप्यूटर पर ही किया और अंततः इसका प्रकाशन भी मार्च 2018 में कर दिया. इस अनुभव के साथ मुझे हमेशा की तरह डॉ. सुरजीत सिंह (मिशीगन, अमरीका) के सहयोग का आश्वासन मिला और तब इस वृहद योजना पर काम शुरू हो गया. यह बताने की ज़रूरत तो नहीं कि गीत कोश खंडों की समस्त जानकारी को कंप्यूटर में भरने की ज़िम्मेदारी मैंने संभाली और डॉ. सुरजीत सिंह ने इस जानकारी को इंटरनेट के माध्यम से संगीत-प्रेमियों के सामने प्रस्तुत करने का कार्यभार संभाला. यह कार्य भी उतना ही कठिन और थका देने वाला साबित हुआ जितना कि हिंदी फ़िल्मों एवं गीतों की जानकारी का संकलन कार्य था.

देर आयद दुरुस्त आयद को चरितार्थ करते हुए नतीजा आपके सामने है. गीत कोश खंडों के पुस्तक रूप में प्रकाशन के बाद पिछले 4 दशकों में जो जानकारी मुझे हासिल हुई, उसका समावेश भी इंटरनेट के माध्यम से प्रस्तुत जानकारी में किया जा रहा है.

हमारे सम्मिलित प्रयासों का नतीजा आपके सामने है. इस योजना के अंतर्गत प्रस्तुत की जाने वाली समस्त जानकारी को किश्तों में ही सही, आपके सामने प्रस्तुत किया जा रहा है. ये भी एक सपना था जो सच होकर सामने आ रहा है

हम जनता को  उपलब्ध कराने से पहले सभी छह संस्करणों के लिए डेटा प्रविष्टि, इसके अलावा, जाँच, संपादन और सुधार के सभी काम ख़त्म करने की योजना बना रहे थे. लेकिन, हाल ही में हमें  यह  पता चला कि हमारी पिछली, बहुत महंगी, लेकिन असफल, दोषपूर्ण और अधूरी प्रतियों का फल अत्यधिक कीमतों पर बेचा  जा रहा  है. इसलिए, हमने जितना भी होता जाता है उतना ही डेटा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है.